रायमाता के चमत्कार

 कहा जाता है कि गांगियासर की रायमाता बड़ी ही लोकप्रिय और कलियुग की चमत्कारी देवी के रूप में प्रसिद्ध हुई है। लोक में रायमाता की कुछ चमत्कार-कथाएं प्रसिद्ध हैं।

मन्दिर का प्रथम यह चमत्कार प्रसिद्ध है कि एक बार इस गांव में एक चोर ने किसी ग्रामीण के एक बैल को चुरा लिया। बैल के मालिक को पता चला कि  चोर बैल के साथ मन्दिर के पास टिका हुआ है। वह अपने साथ ग्रामवासियों को लेकर चोर को पकड़ने के लिए मन्दिर की ओर चल पड़ा। चोर बैल को मन्दिर के पास एक पेड़ से बांधकर मन्दिर में जाकर माता की आराधना व दया की प्रार्थना करने लगा। चोर की करुण पुकार सुनकर करुणामयी देवी ने बैल को गाय के रूप में परिवर्तित कर दिया। जब ग्रामवासियों ने गाय को देखा तो वे वापस लौट गए। चोर भी गाय को छोड़कर वहां से चला गया। तब से यह कहावत प्रचलित हो गई ” जय जननी मातेश्वरी गांगियासर की राय, भक्तजन संकट हरो, करी बैल से गाय”।



एक अन्य चमत्कार के अनुसार एक बार मीर खान पठान ने गांगिायासर ग्राम लूटने के लिए फौजो से घेर लिया तो ग्रामीण सन्त सेवापुरी महाराज की शरण मे पहुॅच कर संकट से बचने की प्राथना करने लगे। सन्त ने फौज का सामना करने को कहा और आर्शीर्वाद दिया कि तुम्हारी ही जीत होगी। परिणाम वही हुआ मीर खान की तोपे रूकगई। तोपो का मुह तक नही खुला। दूसरा हा्रष्य बडाहि विचित्र दिखाई दिया मीर खान ने देखा कि सिपाही कटते नजर आरहे है रणक्षेत्र मे एक स्त्री के हाथ मे तलवार और खप्पर लिए हुए उस की फौज के सिपाहियो के सिर धड से अलग थलग कर रही है। और एक साधू हाथ मे चीमटा लिए घूम रहा है। तब मीर खां के पावं उखड गये और मैदान छोडकर भग गया। 

इसी प्रकार एक साधू ने मां की परीक्षा लेने के लिए उनके गहने चुरा कर जाने लगा तो वह मंदिर से बहार आकर रास्ता भूल गया। और गहनो को जमीन मे गाड दिया चलते वक्त एक झाडी मे फंस गया क्यो कि वह अन्धा होगया था। प्रतः ग्रामीणो को जानकारी मिली तो उसे उसे पकड लिया और पूछने पर सब कुछ बतादिया। भेमा खाती जो पुजारी था उसने भक्तिवश अपना शीश काटकर मां को चढादिया लेकिन मां ने उसे पुनः जोड दिया। 

36 वर्ष पूर्व एक चोर मां की मूर्ति चोर कर लेगया जो 10 किलो चांदी की थी लेकिन पटियाला मे वह पकडागया। एक बार रतिनाथ जी के साथ सवामणी के लिए आयी सेठानी जो माता के दरबार मे ही कुर्सि रख कर बैठगई थेडी ही देर मे हलवाइयो के सिलेण्डर ने आग पकडली। रतीनाथ जी यह चमत्कार जानगये सेठानी को कुर्सी से नीचे बैठाकर मां से प्रार्थना की तो आग शांत होगइ।

रायमाता के मन्दिर में प्रतिवर्ष अश्विनी नवरात्रों में विशाल मेले का आयोजन होता है। इस धाम में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु माता के दर्शनार्थ आते हैं।

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